गया। एमयू हिन्दी, मगही और पत्रकारिता विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के साहित्य में नारी चेतना के स्वर’ विषय पर गुरुवार को आमंत्रित व्याख्यान और वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।मगध विश्वविद्यालय के हिन्दी भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में रांची विद्यालय के हिन्दी विभाग के आचार्य डॉ. हीरानन्दन प्रसाद ने व्याख्यान दिया।उनका स्वागत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ब्रजेश कुमार राय को अंग वस्त्र और पुष्पगुच्छ प्रदान कर किया । प्रो.हीरानन्दन प्रसाद ने द्विवेदी जी के उपन्यासों_बाणभट्ट की आत्मकथा अनामदास का पोथा,पुनर्नवा और चारुचंद्रलेख के माध्यम से उनकी नायिकाओं पर विस्तृत प्रकाश डाला गया। उन्होंने तह स्थापित किया कि आज स्त्री-जीवन की दशा और दिशा जिस भी रूप में है उसे द्विवेदी जी ने बहुत पहले गंभीरता से पहचाना था और अपने साहित्य में विभिन्न रूपों में उनकी अभिव्यक्ति की थी।भट्टिनी, निपुणिका और मिस कैथराइन जैसे पात्र इसके उदाहरण मात्र हैं।वहीं ब्रजेश कुमार राय ने कहा कि न्याय और सत्य के लिए सदैव अडिग रहना चाहिए यह शाश्वत सीख हमें आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के साहित्य के माध्यम से बारंबार मिलती है । आचार्य द्विवेदी आजीवन मनुष्य और मनुष्यता के पक्षधर रहे और उनकी नारी-चेतना भी इससे नअलग नहीं है । वही एस. एस. कॉलेज, जहानाबाद के हिन्दी विभाग के सह-आचार्य डॉ. अरुण कुमार ने काव्यपूर्ण ढंग से अपने भाषण में विद्यार्थियों को चन्द्रगुप्त और चाणक्य की उपमा दी और उन्हें अधिकाधिक अध्ययन के लिए प्रोत्साहित किया गया । वाद-विवाद प्रतियोगिता में हिन्दी, मगही, संगीत और पत्रकारिता के स्नातकोत्तर और कोर्सवर्क के विद्यार्थियों ने सहभागिता की।विद्यार्थियों केसरी कुमार, रानी कुमारी, राकेश प्रभाकर, मनीष कुमार, रविरंजन निलय, अन्नू सुरभि, प्रियंका सिंह, प्रेमदानी सिंह, सुमित्रा कुमारी मंजू कुमारी, माला कुमारी, रौशन कुमार, राजन कुमार और प्रवेश कुमार ने अपने वक्तव्य दिए । निर्णायक मंडल में सम्मिलित प्रो. सुनील कुमार, डॉ. आनंद कुमार सिंह और डॉ. राकेश कुमार रंजन ने प्रदर्शन के आधार पर शीर्ष तीन विद्यार्थियों को चुना । शीर्ष तीन विजेताओं – रवि रंजन निलय, प्रवेश कुमार और सुमित्रा कुमारी को मुख्य अतिथि डॉ. हीरानन्दन प्रसाद और विभागाध्यक्ष प्रो. ब्रजेश कुमार राय द्वारा क्रमशः स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक से सम्मानित किया गया। प्रो. सुनील कुमार ने विद्यार्थियों द्वारा भाषण के दौरान की जाने वाली सामान्य गलतियों को रेखांकित करते हुए उन्हें दूर करने को प्रोत्साहित किया । डॉ. परम प्रकाश राय ने मंच संचालन किया। डॉ. आनंद कुमार सिंह ने आभार ज्ञापन करते हुए कहा कि आचार्य द्विवेदी के साहित्य में नारी केवल श्रद्धा नहीं है, वह अनेक शक्तियों से लैस है, सिर्फ़ उसे पहचानने की आवश्यकता है । इस अवसर पर प्रोसर सहित डॉ परवेज़, इंद्रजीत, संजय आदि शिक्षकेत्तर कर्मियों ने भी सक्रिय सहभागिता की।